राजस्थान में ट्यूबवेल खोदते समय अचानक धरती से भारी मात्रा में पानी आने लगा, आइये जानते हैं कि यह पानी कहां से आया राजस्थान जिले के मोहनगढ़ के 27 बीडी बाहला में धरती से अचानक प्रेशर से निकले पानी ने सबके होश उड़ा दिए. हालांकि अब तीन दिन बाद पानी की आवक तो रुक गई है, पीछे कई सवाल छोड़ गई है. बताया जा रहा है कि तेज प्रेशर के साथ सफेद चिकनी मिट्टी भी बाहर आई है. कई लोग इसे सरस्वती नदी का पानी बता रहे हैं. हालांकि पानी खारा होने से सरस्वती नदी के दावों को भूजल वैज्ञानिक सिरे से ही खारिज कर रहे हैं.लोग कह रहे हैं कि यह स्वरसती नदी का पानी है जो 5000 साल पहले बहती थी
इसलिए नहीं है सरस्वती नदी का पानी: भूजल वैज्ञानिक ने बताया कि मोहनगढ़ के बाहला क्षेत्र में बोरवेल से निकले पानी व मिट्टी के सैंपल लेकर जांच के लिए भिजवाएं जा रहे हैं. बोरवेल का निकला पानी सरस्वती नदी का नहीं हो सकता. उन्होंने बताया कि सरस्वती नदी का इतिहास सिर्फ 5 हजार साल पुराना है. जबकि बोरवेल से निकला पानी का इतिहास करीब 60 लाख साल पुराना है. ऐसे में यह पानी सरस्वती नदी का नहीं है.
आइये जानते हैं 60 लाख साल पहले पृथ्वी पर क्या उपलब्ध था:
ये महाद्वीप पैंजिया नामक एक महाद्वीप का हिस्सा थे जो 240 मिलियन वर्ष पहले अस्तित्व में था। पैंजिया लगभग 200 मिलियन वर्ष पहले टूटना शुरू हुआ और अंततः इन टुकड़ों से उन महाद्वीपों का निर्माण हुआ जिन्हें हम आज जानते हैं , पृथ्वी पर जीवन प्रोकैरियोट्स से यूकेरियोट्स और बहुकोशिकीय रूपों में विकसित हुआ। प्रोटेरोज़ोइक युग, जो 2.5 अरब साल पहले से 538.8 मिलियन साल पहले तक चला, उसमें महाद्वीपों का विकास और ऑक्सीजन युक्त वातावरण का विकास देखा गया। प्राइमेट्स के विकासवादी इतिहास का पता 65 मिलियन वर्ष पुराना लगाया जा सकता है। प्लेसीडैपिस और आर्किसेबस सबसे पुरानी ज्ञात प्राइमेट जैसी स्तनपायी प्रजातियों में से दो थीं।
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